ये कहानी, एकदम सच्ची, कई साल पुरानी है। मेरा नाम, चलो, इसे गुप्त ही रखते हैं, पर मेरे दोस्त, जो बड़े-बड़े चुदक्कड़ और रंडीबाज थे, आज भी मेरे इस कारनामे की वाह-वाह करते हैं। सच्ची बात बोलूँ, मैंने ये सब सिर्फ दारू के नशे में किया। उन दिनों मैं रोज टल्ली होता था, more info और दारू मुझे हर वक्त चुदास चढ़ा देती थी। हाँ, चुदास मेरी रग-रग में बसी थी। मैं तब पैंतीस-छत्तीस का था, शादीशुदा, पर बीवी से कुछ वक्त के लिए जुदा था। रंडियों के चक्कर में नहीं पड़ता था, ना ही चुदाई के लिए पैसे फेंकने का शौक था। तो बस, मेरा लंड हमेशा तना रहता था, चूत की तलाश में भटकता हुआ।
Read Full Story: पति के सामने उसकी बीवी की चुदाई